एक भला आदमी छोटी सी कहानी | A Good Man Short Story

एक भला आदमी छोटी सी कहानी | A Good Man Short Story

Short Moral Stories in Hindi

A Good Man Short Story

एक धनी पुरुष ने एक मंदिर बनवाया मंदिर में भगवान की पूजा करने के लिए एक पुजारी रखा मंदिर के खर्च के लिए बहुत सी भूमि खेत और बगीचे मंदिर के नाम लगाएं उन्होंने ऐसा प्रबंध किया था कि जो मंदिर में भूखे दिन-दुखिया साधु संत आये और दो-चार दिन ठहर सके और उनको भी भोजन के लिए भगवान का प्रसाद मंदिर से मिल जाया करें अब उन्हें एक ऐसे मनुष्य की आवश्यकता हुई जो मंदिर की संपत्ति प्रबंध करें और मंदिर के सब कामों को ठीक चलाता रहे बहुत से लोग उस धनी पुरुष के पास आए वे लोग जानते थे कि यदि मंदिर की व्यवस्था का काम मिल जाए तो वेतन अच्छा मिलेगा लेकिन वह धनी पुरुष ने सब को लौटा दिया वह सब से कहता था ।

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मुझे एक भला आदमी चाहिए मैं उसको अपने आप छाट लूंगा बहुत से लोग मन ही मन उस धनी पुरुष को गालियां देते थे बहुत लोग उसे मूर्ख और पागल बनाते थे लेकिन वह धनी पुरुष किसी की बात पर ध्यान नहीं देता था जब मंदिर के पट ( दरवाजे ) खुलते थे और लोग भगवान के दर्शन के लिए आने लगते थे तो वह धनी पुरुष अपने मकान की छत पर बैठकर मंदिर में आने वाले लोगों को चुपचाप देखा करता था एक दिन एक मनुष्य मंदिर में दर्शन करने आया उसके कपड़े मेले और फटे हुए थे वह बहुत पढ़ा लिखा भी नहीं जान पड़ता था ।

जब वह भगवान का दर्शन करने जाने लगा तब धनी पुरुष ने उसे अपने पास बुलाया और कहा क्या आप इस मंदिर की व्यवस्था संभालने का काम स्वीकार करेंगे और इस मंदिर की देख भल करना पसंद करोगे । वह मनुष्य बड़े आश्चर्य में पड़ गया उसने कहा मैं तो बहुत पढ़ा लिखा नहीं हूं मैं इतने बड़े मंदिर का प्रबंध ( लेखा-झोका ) कैसे कर सकूंगा धनी पुरुष ने कहा मुझे बहुत विद्वान नहीं चाहिए मैं तो एक भले आदमी को मंदिर का प्रबंधक (Manager) बनाना चाहता हूं उस मनुष्य ने कहा आपने इतने मनुष्यों में मुझे ही क्यों भला आदमी माना । धनी पुरुष बोला मैं जानता हूं कि आप भले आदमी है मंदिर के रास्ते में एक टीस का टुकड़ा गड़ा रह गया था और उसका एक कोना निकला था ।

मैं इधर बहुत दिनों से देखता था कि उसके टुकड़े की नोक से लोगों को ठोकर लगती थी लोग गिरते थे लुढ़कते थे और उठकर चल देते थे आपको उस टूकड़े से ठोकर लगी नहीं किंतु आपने उसे देखकर ही उखाड़ देने का प्रयत्न किया मैं देख रहा था कि आप मेरे मजदूर से फावड़ा मांग कर ले गए और उस टुकड़े को खोदकर आपने वहां की भूमि भी बराबर कर दी उस मनुष्य ने कहा यह तो कोई बात नहीं है रास्ते में पड़े कांटे कंकड़ को हटाना में अपना कर्तव्य समझ कर काम कर रहा था ।
क्यों की मेने देखा था उस नुकीले टुकड़े की ठोकर खा कर लोग गिर रहे हे इससे कोई बड़ी घटना न हो जाये इसलिए मेने सोचा क्यों न ऐसे हटाया जाये और मेने उसे हटा दिया । जिससे खुस हो कर धनी पुरुष ने उस भले आदमी की भलाई देख कर मंदिर का प्रबंधक (Manager) बना दिया ।

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