Short Moral Stories in Hindi
एक बहुत ही बहुत ही खूबसूरत स्टोरी
एक महिला थी 30-35 साल की वह बहुत ही खूबसूरत और सुंदर थी | एक दिन वह स्कूल पहुंची तो सारी गर्ल्स ने उसे घेर लिया और उसके चारों और इर्द-गिर्द घूमती है। और कहती है मैडम आप इतनी सुंदर हो इतनी खूबसूरत हो आप से तो कोई भी शादी करने के लिए मना नहीं करेगा |
आप ने शादी क्यों नहीं की फिर वह बताना शुरु करती है कि एक महिला थी जिसे पांच पांच लड़कियां थी और एक भी बेटा नहीं था उसे।और उसका पति उससे हमेशा नाराज हुआ करता था | एक दिन फिर ऐसा आया कि वह प्रेग्नेंट हुई और वहां पति ने उसे पहले ही चेतावनी दे दि कि अगर इस बार भी बेटी हुई तो हम उसे घर में नहीं रखेंगे। फिर भगवान को भी पता नहीं क्या मंजूर था | भगवान का खेल देखिए उस महिला को दोबारा लड़की ही हुई ।
फिर देखिए उसके पति ने वही करा जो उसने पहले बोला था कि अब कि बार भी लड़की हुई तो उसे घर में नहीं रखेंगे।अब वह उस नन्ही सी परी को सड़क किनारे छोड़ कर आ गया। और वह मां उस नन्ही सी बच्ची की सलामती के लिए भगवान से दुआ करती रही | कि मेरी बच्ची को सलामत रखना भगवान अगले दिन उसका पति उसी रास्ते से गुजरा तो वह नन्ही सी परी वहीं थी | उसने सोचा उसे कोई नहीं ले गया ऐसा दो-चार दिन तक चलता रहा फिर वह उस नन्ही सी परी को वापस घर ले आया और अंत में उसे झक मार कर घर लाना ही पड़ा और वह नन्ही सी बच्ची घर में पलने लगी खेलने लगी और बड़ी हो गई |
उसके बाद उसके पति ने एक बार और उम्मीद रखी। और फिर से वह महिला प्रेग्नेंट हुई और उस बार उसने एक बेटे को जन्म दिया और जन्म देने के बाद वह हमेशा एक बेटा होने के बाद उसने अपनी एक बेटी को खो दिया करती क्योकि बीमारी के कारण बेटियों की देखभाल नहीं होती थी। इस कारण कुछ सालों बाद उस घर का नजारा कुछ ऐसा था | कि घर में चार – चार बेटे और एक लड़की थी | वह लड़की वही थी जिसे वह घर में रखना नहीं चाहता था
वह जिसे वह खुद सड़क किनारे छोड़ कर आया था । और फिर इतने बच्चों को जन्म देने वाली मां इतने सालों से बीमार रहती थी।और एक दिन उसकी भी सांसे थम गयी ।
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अब घर मे चार चार लड़के थे और वहां कमाने में व्यस्त हो गए उनमें से किसी के पास भी टाइम नहीं था ।टीचर ने स्कूल में रुक कर उन बच्चों को बताया कि जिस लड़की को वह बाप जो सड़क किनारे छोड़कर आया था | वह लड़की में ही हूँ मेरे पिता अब बहुत बूढे हो चुके है। और उनकी देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है |
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अब उन्हें अफसोस होता है कि मैंने चार चार बेटों की लालसा में अपनी सारी बेटियां गवा दी और बेटे की चाहत में तुम्हारी मां को इतना दुख दिया कि वह कुछ ही दिनों में चल बसी | अब आज है आखिर कार में मेरी बेटी भी मेरा ध्यान रख रही है। एक कहावत है जो गुजराती में लोग कहते हैं
” डिक्री डिक्री ने कोई तोल वाने नि आवे “
मैं यह नहीं कहती कि सारे बेटे एक जैसे होते हैं लेकिन बहुत से बेटे अपने मां-बाप को छोड़ देते हैं। लेकिन बेटी नहीं छोड़ती और वह जीवन भर साथ देती है।इसलिए कहते हैं कि
“अपमान ना करो औरत का इससे जगत चलता है।
एक आदमी उसी की गोद में जन्म लेकर
उसी कि गोद में पलता है “
हम यह भी नहीं कहते कि जिस लड़की का सोशल मीडिया फेसबुक व्हाट्सएप पर जो सम्मान मिलता है अगर इतना मान सम्मान किसी रास्ते पर चलती हुई लड़की हो माँ हो या लेडीस को मिलने लगा तो देश का नक्शा ही बदल जाएगा और हमारा मानना है कि लड़की और लड़का दोनों के प्रति एक जैसी भावना होना चाहिए। एक समान होना चाहिए और वैसे ही एक दूसरे को सम्मान दें |
यदि ऐसा हो गया तो कभी भी ऐसे अपराध ही नहीं होंगे इसीलिए महिला , बच्ची , लड़की हो या माँ हो सभी का सम्मान करें क्योंकि वही तुम्हें इस संसार में लेकर आती है उस से बड़ा कोई नहीं उसके आगे भगवान भी हारे हैं वह कहते हैं ही है की प्रकृति ओर पुरुष दोनों एक समान है वैसे ही पुरुष और महिला दोनों एक समान है और दोनों को एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए | धन्यवाद 🙏🙏🙏