होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन 2020 में 9 मार्च को मनाया जायेगा होलिका दहन का शुभ मुहूर्त सोमवार 9 मार्च
06:22 PM से 08:50 PM
होली एक रंग बिरंगा त्योहार है । जिस हर धर्म के लोग पूरे उत्साह और मस्ती के साथ मनाते हैं। इस त्यौहार पर देश विदेश से लोग यहाँ भारत में घूमने और होली खेलने आते हे । प्यार भरे रंगों से सजा यह पर्व हर धर्म, संप्रदाय, जाति के बंधन खोलकर भाई-चारे का संदेश देता है। इस दिन सारे लोग अपने पुराने गिले-शिकवे और लड़ाई झगड़ा भूल कर गले लगते हैं और एक दूजे को गुलाल लगाते हैं। बच्चे और युवा रंगों से खेलते हैं। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है।
होली के साथ अनेक कथाएं जुड़ीं हैं। होली मनाने के एक रात पहले होली को जलाया जाता है। इसके पीछे एक लोकप्रिय प्राचीन पौराणिक कथा है।
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Holi Kyo Manai Jati Hai
राक्षस प्रवृत्ति वाला हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान के प्रति भक्ति को देखकर बहुत परेशान था। भक्त प्रह्लाद के पिता हरिण्यकश्यप स्वयं को भगवान मानते थे। वह विष्णु के विरोधी थे जबकि प्रह्लाद विष्णु भक्त थे। उसने प्रह्लाद का ध्यान ईश्वर से हटाने के लिए हर संभव कोशिश की लेकिन उसे इसमें सफलता नहीं मिली। फिर उन्होंने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति करने से रोका जब वह नहीं माने तो उन्होंने प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया।
प्रह्लाद के पिता ने आखरी में अपनी बहन होलिका से मदद मांगी। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। होलिका अपने भाई की सहायता करने के लिए तैयार हो गई। होलिका प्रह्लाद को लेकर चिता ( अग्नि ) में जा बैठी परन्तु विष्णु की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जल कर भस्म हो गई।
यह पौराणिक कथा इस बात का संकेत करती है की बुराई पर अच्छाई की जीत अवश्य होती है। आज भी पूर्णिमा को होली जलाते हैं, और अगले दिन सब लोग एक दूसरे पर गुलाल, अबीर और तरह-तरह के रंग डालते हैं। यह त्योहार रंगों का त्योहार है।
इस दिन लोग प्रात:काल उठकर रंगों को लेकर अपने नाते-रिश्तेदारों व मित्रों के घर जाते हैं और उनके साथ जमकर होली खेलते हैं। बच्चों के लिए तो यह त्योहार विशेष महत्व रखता है। वह एक दिन पहले से ही बाजार से अपने लिए तरह-तरह की पिचकारियां व गुब्बारे लाते हैं। बच्चे गुब्बारों व पिचकारी से अपने मित्रों के साथ होली का आनंद उठाते हैं। और खूबसरे रंगो से होली मनाते हे ।
सभी लोग बैर-भाव भूलकर एक-दूसरे से परस्पर गले मिलते हैं। घरों में औरतें एक दिन पहले से ही मिठाई, गुझिया आदि बनाती हैं व अपने पास-पड़ोस में आपस में बांटती हैं। कई लोग होली की टोली बनाकर निकलते हैं उन्हें हुरियारे कहते हैं।
ब्रज की होली, मथुरा की होली, वृंदावन की होली, बरसाने की होली, काशी की होली पूरे भारत में मशहूर है।
आजकल अच्छी क्वॉलिटी के रंगों का प्रयोग नहीं होता और त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले रंग खेले जाते हैं। जो की सरासर गलत है। इस मनभावन त्योहार पर रासायनिक लेप व नशे आदि से दूर रहना चाहिए। बच्चों को भी सावधानी रखनी चाहिए। बच्चों को बड़ों की निगरानी में ही होली खेलना चाहिए। दूर से गुब्बारे फेंकने से आंखों में घाव भी हो सकता है। रंगों को भी आंखों और अन्य अंदरूनी अंगों में जाने से रोकना चाहिए। यह मस्ती भरा पर्व मिलजुल कर मनाना चाहिए।
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होली के दिन क्या करना चाहिए
- सर पर आप टोपी का इस्तमाल कर सकते हैं ताकि बालों को नुकसान न हो.
- अपने चेहरे, शरीर और बाल पर कोई भी तेल लगा लें ताकि जब आप रंगों को नहाते वक़्त छुड़ाने की कोशिश करें तो वो आसानी से छुट जाये.
- रंगों से खेलने के बाद अगर आपको कोई भी शारीरिक परेशानी होना शुरू हो जाये तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाएं.
- Holi के दिन organic और naturals रंगों का इस्तेमाल करें.
- रंगों से खेलने के बाद अगर आपको कोई भी शारीरिक परेशानी होना शुरू हो जाये तो तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल में इलाज करवाएं.
- इस दिन आप जो कपडे पहने उससे आपके पुरे शरीर ढका होना चाहिये ताकि जब कोई दूसरा व्यक्ति आपको chemicals से बने रंग लगाये तो आपकी त्वचा कपड़ो की वजह से बच जाए.