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Lohri 2020 | क्यों मनाई जाती है लोहड़ी | आग और दुल्ला भट्टी की कहानी

Happy Lohri 2020

वर्ष 2020, 13 जनवरी सोमवार दिन शनिवार को पूरे उत्साह के साथ मनाया जाएगा| लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएं सन्देश देंगे| आजकल लोगों ने इस पर्व को सोशल मीडिया, जैसे फेसबुक, ट्विटर आदि पर काफी लोकप्रिय बना दिया है| लोग एडवांस में ही बधाइयों की झड़ी लगा देते हैं|

मुगल काल में अकबर के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में रहा करता था| कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी| क्योंकि उस समय अमीर सौदागरों को सदंल बार की जगह लड़कियों को बेचा जा रहा था|

पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष त्यौहार है| इस दिन अलाव जलाकर उसके इर्दगिर्द डांस किया जाता है| लड़के भांगड़ा करते हैं| लड़कियां और महिलाएं गिद्धा करती है| इस दिन विवाहिता पुत्रियों को मां के घर से ‘त्योहार’ (वस्त्र, मिठाई, रेवड़ी, फलादि) भेजा जाता है| वहीं, जिन परिवारों में लड़के का विवाह होता है या जिन्हें पुत्र प्राप्ति होती है, उनसे पैसे लेकर मुहल्ले या गांव भर में बच्चे ही रेवड़ी बांटते हैं|

अनेक लोग मानते हैं कि लोहड़ी शब्द ‘लोई (संत कबीर की पत्नी) से उत्पन्न हुआ था, लेकिन कई लोग इसे तिलोड़ी से उत्पन्न हुआ मानते हैं, जो बाद में लोहड़ी हो गया| वहीं, कुछ लोग यह मानते है कि यह शब्द लोह’ से उत्पन्न हुआ था, जो चपाती बनाने के लिए प्रयुक्त एक उपकरण है|

आग का महत्व क्या है ?

लोहड़ी के दिन आग जलाने को लेकर माना जाता है कि यह आग्नि राजा दक्ष की पुत्री सती की याद में जलाई जाती है| पौराणिक कथा के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने यज्ञ करवाया और इसमें अपने दामाद शिव और पुत्री सती को आमंत्रित नहीं किया| इस बात से निराश होकर सती अपने पिता के पास जवाब लेने गई कि उन्होंने शिव जी को यज्ञ में निमंत्रित क्यों नहीं भेजा| इस बात पर राजा दक्ष ने सती और भगवान शिव की बहुत निंदा की| सती बहुत रोई, उनसे अपने पति का अपमान नहीं देखा गया और उन्होंने उसी यज्ञ में खुद को भस्म कर दिया| सती के मृत्यु का समाचार सुन खुद भगवान शिव ने वीरभद्र को उत्पन्न कर उसके द्वारा यज्ञ का विध्वंस करा दिया|

दुल्ला भट्टी कौन था ?

मुगल काल में अकबर के दौरान दुल्ला भट्टी पंजाब में रहा करता था| कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी| क्योंकि उस समय अमीर सौदागरों को सदंल बार की जगह लड़कियों को बेचा जा रहा था| एक दिन दुल्ला भट्टी ने इन्हीं सौदागरों से लड़कियों को छुड़वा कर उनकी शादी हिन्दू लड़कों से करवाई| इसी तरह दुल्ला भट्टी को नायक की उपाधि से सम्मानित किया गया और हर लोहड़ी को उसी की ये कहानी सुनाई जाती है|

सुंदर मुंदरिये ! ………………हो
तेरा कौन बेचारा, ……………..हो
दुल्ला भट्टी वाला, ……………हो
दुल्ले घी व्याही, ………………हो
सेर शक्कर आई, ……………..हो
कुड़ी दे बाझे पाई, ……………..हो
कुड़ी दा लाल पटारा, ……………हो


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